मंच में बोलने के दौरान घबराहट कैसे दूर करें
आज भी 75 % लोगों के लिए मंच में बोलना आसान काम नहीं है। ज्यादातर लोगों को मंच में खड़े होकर बोलने से डर लगता है। मंच में खड़े होते ही घबराहट आदि होने लगती है।यह समस्या तब और भी बड़ी हो जाती है, जब आप इससे डर कर मंच में जाना ही नहीं चाहते हैं।
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इसी डर की वजह से आप अपने जीवन में आने वाले सफलता के अनेक मौकों को खो देते हैं।
मंच में बोलने के दौरान होने वाली घबराहट को पूरी तरह से दूर तो नहीं किया जा सकता, पर काफी हद तक दबाया जा सकता है। सफल वक्ता अक्सर इन तरीकों के बारे में लोगों से बताते हैं। उनके अनुभव से इस घबराहट को दबाना कोई बड़ी बात नहीं है। बस आपको उन चीजों के बारे में पता होना चाहिए जिन उपायों से आप की घबराहट दूर हो सकती है।
मंच में बोलने के दौरान होने वाली घबराहट को अंग्रेजी में performance anxiety or glassophobia भी कहते हैं।इस तरह की घबराहट होने पर तमाम तरह के लक्षण होने लगते हैं। जैसे- हाथ और पैर का कांपना, आंखों में आंसू आ जाना, गला और जीभ सूखना, जीभ का चिपक जाना,आदि।
इन सारे लक्षणों के आते ही आपका आत्मविश्वास शुन्य हो जाता है। इससे मंच में आकर बोलने की आपकी क्षमता लगभग खत्म हो जाती है। यहां तक कि आपके बोलने की सामग्री कितनी भी उम्दा हो,वह आपकी मदद नहीं कर पाती।
यहां पर कई ऐसे तरीके दिए जा रहे हैं, जो आपकी इस घबराहट को दूर करने में मदद करेंगे।
1. अपने विषय को पूरी तरह से जानें
जब भी मंच में जाने से पहले हमको यह महसूस होता है कि हम अपने विषय को पूर्ण रूप से नहीं जानते हैं अथवा हमारे अलावा श्रोता या अन्य वक्ता इस विषय पर और अधिक जानकारी रखते हैं,तब हमको घबराहट होने लगती है। इस तरह की घबराहट के लिए यह जरूरी है कि मंच में आने से पहले हम अपने विषय की पूरी जानकारी इकट्ठा कर ले। अपने विषय से संबंधित उप-विषयों को नोट करें और क्रमवार उनके बारे में जानकारी एकत्रित करें।
उदाहरण के तौर पर यदि आप पर्यावरण दिवस पर बोलने जा रहे हैं, तो इसकी जानकारी अवश्य रखें कि पर्यावरण दिवस कब मनाया जाता है?
पर्यावरण दिवस की क्या खास बातें हैं?
पर्यावरण दिवस के कार्यक्रम में क्या-क्या किया जाता है?
पर्यावरण दिवस कब से मनाया जा रहा है?
पर्यावरण दिवस की क्या उपयोगिता है?
इस वर्ष पर्यावरण दिवस किस थीम पर आयोजित हो रहा है?
साथ ही साथ पिछले कुछ सालों के भी विषय नोट करें।
इसके अतिरिक्त आपको अपने आयोजनकर्ता एवं आयोजन के पीछे के उद्देश्य आदि की भी जानकारी रखनी चाहिए।
2.लिखी लिखाई व रटी स्क्रिप्ट से बचें
घबराहट का एक बड़ा कारण रटी रटाई, पहले से लिखी स्क्रिप्ट भी होती है। जब भी आप किसी रटी रटाई स्क्रिप्ट के साथ मंच में आते हैं, तो आपके मन में आशंका मौजूद रहती है कि क्या होगा अगर मैं मंच पर आकर उसको भूल जाऊंगा। इसी आशंका के चलते आपका मस्तिष्क संकुचित रहता है और आप घबराते रहते हैं। परंतु यदि आप अपने स्वयं के शब्दों में बोलते हैं तो आपका मस्तिष्क आपको नए विचार व ऊर्जा देता है। वह आपके शब्दों को व्यापकता देता है।इससे आपकी घबराहट दूर होने लगती है।अब आप यह सोच रहे होंगे कि इतने बड़े भाषण या संचालन को बिना पहले से लिखे कैसे बोला जाए।इसका भी तरीका नीचे दिया जा रहा है।
3. छोटे-छोटे बिंदु लिख ले
आप किसी का कागज के टुकड़े पर अथवा अपने हाथ पर अपने भाषण से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदुओं को क्रमवार तरीके से लिख लें। इसके अतिरिक्त आप पोडियम पर भी कोई कागज रख लिखकर रख सकते हैं।ऐसा करने से ना केवल आपका दिमाग उन बिंदुओं पर सक्रिय रहेगा बल्कि आप अपने विचारों को खुल कर श्रोताओं के सामने रख पाएंगे। ऐसा करने से आप अपनी रटी स्क्रिप्ट को भूलकर होने वाली जग हंसाई से भी बच सकेंगे।
4. शारीरिक प्रतिक्रियाएं
यदि बोलते समय आप अपने हाथ, पैर, आंख,होंठ इत्यादि का भी मौका अनुकूल उपयोग करते रहेंगे,तो यह आपके भाषण को जीवंत कर देगा और दर्शक आपसे प्रत्यक्ष रूप से जुड़ा महसूस करेंगे। यह आपके अच्छे आत्मविश्वास के स्तर को भी दर्शाता है। आपकी शारीरिक भाषा व शारीरिक प्रतिक्रिया आपके शब्दों जितना ही महत्वपूर्ण होती हैं।
हालांकि, इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है कि शारीरिक प्रतिक्रियाएं प्राकृतिक लगें ना कि बनावटी। प्राकृतिक शारीरिक क्रियाएं आपको मंच पर अधिक सहज बनाते हैं।सहजता आते ही आपके घबराहट पूरी तरह से दूर हो जाती है।
5. मदद लें
अपने बोलने की सामग्री तैयार करते समय कई बार जब यह महसूस होता है कि हमारी सामग्री दूसरे से कमजोर हो सकती है, तो हमारी घबराहट बढ़ने लगती है। इस तरह की घबराहट से बचने के लिए हमको अच्छे और सशक्त श्रोत से मदद लेनी चाहिए।इस घबराहट को दूर करने के लिए दूसरों से अलग पंक्तियां, वाक्य, विचार,तथ्य, सशक्त माध्यमों से इकट्ठा करें ताकि आपकी सामग्री दूसरों से ज्यादा आकर्षक और प्रभावी लगे।
6. खुद पर ध्यान दे, श्रोताओं पर नहीं
इस बात का ध्यान रखें कि आप श्रोताओं से हर तरीके से बेहतर हैं क्योंकि अगर श्रोता आपके जितने बेहतर होते तो आप की जगह वह खड़े होकर बोल रहे होते। इसलिए सामाजिक स्क्रुटनी से डरे नहीं, क्योंकि कोई भी खराब या बुरे वक्ता को याद नहीं रखता बल्कि सबसे अच्छे वक्ता को ही याद रखता है। अपना शत-प्रतिशत दें और लोगों की प्रतिक्रियाओं के बारे में ना।
अगर आप लोगों की प्रतिक्रियाओं के बारे में सोचने लगे, तो आप कभी भी अच्छे वक्ता नहीं बन सकते।क्योंकि श्रोताओं की मौखिक अभिव्यक्ति, प्रतिक्रिया इत्यादि बेहद सामान्य क्रियाएं होती हैं, वह हर किसी के लिए होती हैं, चाहे वह अच्छा वक्ता हो या बुरा।
7. अतिरिक्त तैयारी रखें
जब भी अपने भाषण या संचालन की तैयारी कर रहे हों, तो अतिरिक्त कुछ पंक्तियां, अथवा वाक्य इस तरह से तैयार करें कि यदि आप बीच में भूल जाएं कि आपको अब क्या बोलना है तो आप उनका उपयोग कर सकें। अतिरिक्त पंक्तियों को तैयार रखने से आपके आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।लोगों के अनुभव यह बताते हैं कि जब हम अतिरिक्त तैयारी रखते हैं तो हमारी अपना मूल भाषण को भूलने की संभावना कम से कम हो जाती है। यहां तक कि यदि आप पहली बार भी बोल रहे हो तो अतिरिक्त तैयारी के साथ आप अपनी भूलने की समस्या से निजात पा सकते हैं।
8. अपनी कल्पना को विराम दें
अगर आप अपनी प्रस्तुति के पहले ही कल्पना करके रखते हैं कि अगर मैं अच्छा नहीं बोल पाया तो लोग क्या कहेंगे तो यह आपकी प्रस्तुति पर विपरीत असर दिखाता है।
यदि आपको कल्पना करनी ही है तो आप यह सोचें कि किस तरह से लोग आपकी प्रस्तुति के बाद तालियों की गड़गड़ाहट से आपका स्वागत करेंगे। अपने आप को किसी से भी कम ना आंकें।
9. गहरी सांस लें
जब भी आप मंच पर आकर खड़े हों और आपको घबराहट महसूस हो, तो एक गहरी सांस लें, अपने सबसे निकटतम या प्रिय व्यक्ति को याद करें,अपने इष्ट देव की आराधना करें और उसके साथ ही अपनी प्रस्तुति के शुरुआत करें।यह आपके अंदर एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार करेगा और आपके अंदर आत्मविश्वास भर देगा। जब भी बोलने के बीच में आपको घबराहट महसूस हो तो गहरी सांस लेते रहें।
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